इस म‎हिने ‎विदेशी कंपनी बनने का फैसला ले सकती है एयरटेल

नई दिल्ली। भारत की सबसे पुरानी निजी क्षेत्र की दूरसंचार सेवा प्रदाता कंपनी एयरटेल इस म‎हिने ‎विदेशी कंपनी बन सकती है। भारती टैलीकॉम ने सिंगापुर की सिंगटेल और अन्य विदेशी कंपनियों से 4,900 करोड़ रुपए के निवेश के लिए सरकार से अनुमति मांगी है। भारती टैलीकॉम भारती एयरटेल की प्रवर्तक कंपनी है। गौरतलब है कि जियो से मुकाबले और समायोजित सकल राजस्व जैसे मसलों की वजह से भारती एयरटैल सहित कई टेलीकॉम कंपनियों को काफी मुश्किल से गुजरना पड़ रहा है।

एयरटेल को सिर्फ एजीआर के मद में सरकार को 43,000 करोड़ रुपए का बकाया चुकाना है। एक आधिकारिक सूत्र ने बताया कि इस पूंजी निवेश से भारती टैलीकॉम में विदेशी हिस्सेदारी बढ़कर 50 प्रतिशत से अधिक हो जाएगी, जिससे यह एक विदेशी स्वामित्व वाली इकाई बन जाएगी। वर्तमान में, सुनील भारती मित्तल और उनके परिवार की भारती टैलीकॉम में करीब 52 प्रतिशत हिस्सेदारी है।

भारती टैलीकॉम की भारती एयरटैल में करीब 41 प्रतिशत हिस्सेदारी है। भारती टैलीकॉम ने कंपनी में 4,900 करोड़ रुपए के निवेश के लिए आवेदन किया है। इसमें सिंगटेल और कुछ अन्य विदेशी निवेशकों की ओर से होने वाला निवेश शामिल है। इसके साथ ही भारती टैलीकॉम विदेशी इकाई बन जाएगी क्योंकि इसकी बहुलांश हिस्सेदारी विदेशी निवेशकों के पास होगी। दूरसंचार विभाग के इसी महीने इस निवेश को मंजूरी देने की उम्मीद है।

दूरसंचार विभाग ने इससे पहले इस साल की शुरूआत में भारती एयरटैल के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आवेदन को खारिज कर दिया था क्योंकि कंपनी ने विदेशी निवेश के बारे में स्पष्ट नहीं किया था। सूत्र ने कहा कि वर्तमान में, भारती एयरटैल में कुल विदेशी हिस्सेदारी 43 प्रतिशत है। प्रवर्तक इकाई भारती टैलीकॉम के विदेशी इकाई बन जाने के साथ ही कंपनी (भारती एयरटैल) में विदेशी हिस्सेदारी बढ़कर 84 प्रतिशत के पार हो जाएगी।

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